हजारों सालों में एक बार होनेवाली घटना
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कहा जाता है जब भगवान विष्णु के श्री कृष्ण बन के धरती पर आने का समय हुवा तो स्वर्ग के ढेर सारे ऋषि मुनि भी स्वेच्छा से धरती पर आ गए। धरती पर आ के गोप गोपिनी बन गए। जिस ईश्वर के दर्शन के वो स्वर्ग में लालायित रहते थे उनके अब उनको दर्शन होने थे। तो वो धरती पर आ के खुश थे। यानि कि ईश्वर के दर्शन मात्र के लिए लोग स्वर्ग छोड़ धरती पर आ जाएँ।

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तो वो ईश्वर धरती पर हैं अभी।

स्वर्ग में कहा जाता है जो चाहो सब रहता है। सिर्फ आचरण सही रखने होते हैं। ईश्वर सब देते हैं।

बैज्ञानिको ने पता लगाया कि ब्रह्माण्ड में प्रकाश के गति से ज्यादा तेज कुछ चल नहीं सकता। तो वो बोर्डर लाइन है। जहाँ ये भौतिक ब्रह्माण्ड खतम होता है वहाँ से स्वर्ग शुरू। भौतिक ब्रह्माण्ड प्रकाश के गति तक। उसके बाद स्वर्ग लोक शुरू। और स्वर्ग भी एक नहीं। सात सात स्वर्ग।

जिसे पैराडाइस कहते हैं वो सात स्वर्ग में से सबसे निचलावाला स्वर्ग है। जिसे वैकुण्ठ लोक कहा जाता है वो सात में सबसे विशिष्ट है। तीसरा स्वर्ग है जहाँ के राजा इन्द्र हैं।

जो लोग धरती पर ईश्वर को जानते हैं वो जानते हैं। लेकिन स्वर्ग के नागरिकों को जिन्हें क्रिस्चियन कहते हैं एंजेल और हिन्दु कहते देवी देवता जिनका क्षमता ही बहुत ज्यादा होता है। उनकी ईश्वर को जानने की क्षमता ही बहुत अधिक होती है। लेकिन उन्हें भी ईश्वर अनन्त ही लगते है। स्वर्ग में भी ढेर सारे हैं जिन्हें लगता है कि ईश्वर के अराधना के अलाबे और कुछ करना ही नहीं। बस लीन रहते हैं।

तो वो ईश्वर धरती पर हैं अभी।

कुरुक्षेत्र में अर्जुन इच्छा जाहिर करते हैं श्री कृष्ण से कि हम आप का दिव्य रूप देखना चाहते हैं। तो श्री कृष्ण कहते हैं जिसे देखने को खुद स्वर्ग के देवी देवता लालायित रहते हैं लो देखो। अर्जुन डर जाते हैं देख के। सारे दुनिया का सर्वश्रेष्ठ योद्धा डर जाता है। युद्ध में जिन जिन को मरना है उसे तो श्री कृष्ण पहले ही मार चुके होते हैं। अर्जुन को तो सिर्फ वाण चलाना भर है। अर्जुन पुछते हैं कि हम आप की किस रूप में पुजा करें? तो श्री कृष्ण कहते हमें इस मानव रूप में ही पुजा करो। यानि कि ये मानव रूप मेरा कोइ प्रतिनिधि नहीं, ये मैं ही तो हुँ। ये मैं खुद धरती पर हुँ। आया हुँ। तुम्हें भी कर्म करने को कह रहा हुँ और खुद भी अपना कर्म ही तो कर रहा हुँ।

ईश्वर भी अपना कर्म करते हैं। अर्जुन को जो कहा वही बात मुझे भी कहा। सीता माता के भाषा मैथिलि में कहा। कर्म करू। अर्थात कर्म किजिए। परिचय धीरे धीरे खुद बखुद स्थापित हो जाएगी। लोग धीरे धीरे जुड़ना शुरू करेंगे। कर्म करिए। अंग्रेजी में एक शब्द में कहा जाए तो ऐक्ट।

किसी ने भोज के सारे बन्दोबस्त पहले से कर दिए। आप को सिर्फ भोजन करना है। सृष्टि तो आपकी नहीं। सारा का सारा बन्दोबस्त ईश्वर का। आप को सिर्फ अपना कर्म करना है। उतना तो करो।

सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञानी ईश्वर धरती पर मानव अवतार में आए हैं। जैसे कि आप स्वेच्छा से मानव शरीर छोड़ किसी मेंढक के शरीर में चले गए हो। या तितली बन गए। मानव जाति के कल्याण के लिए ईश्वर मानव रूप भी धारण करते हैं। अभी वही तो हो रहा है।

राम लौट के आ गए। कृष्ण लौट आ गए। बुद्ध लौटे चले आए। सिद्धार्थ गौतम के पैदा होने के बाद कहा गया कि ये बालक या तो सारे पृथ्वी का राजा बनेगा नहीं तो जोगी बन जाएगा। इस बार तो वो राजा बनेंगे। आप की खुद्किस्मती है। जिस धरती पर अभी आप हैं उसी धरती पर अभी ईश्वर मानव अवतार में हैं।

कल्कि सेना विश्वव्यापी संगठन का निर्माण होना है। उसमें सहभागी होइए।

सत्य युग में भी लोग महिनों, सालों तपस्या करते थे कि ईश्वर के दर्शन हो जाए। लेकिन जब ईश्वर धरती पर मानव अवतार में हों तो दर्शन ही दर्शन।

काम करना है। धरती पर अभी एक नहीं अनेक जगह युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। उसको रोकना है। मानव जाति का जैसे धरती से ही सम्बन्ध विच्छेद होने होने को है। ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। उस सम्बन्ध को फिर से अच्छे से स्थापित करना है। साधगुरु एक मिट्टी अभियान चला रहे हैं।

खुश होइए। जिस का आप को हजारों सालों से इंतजार था वो घड़ी अब आ गयी। ईश्वर धरती पर मानव अवतार में हैं। भगवान विष्णु के कल्कि अवतार धरती पर हैं। राम राज्य सिर्फ अयोध्या में था। कल्कि राज्य सारे पृथ्वी पर रहेगी।

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